आशा ना छोड़िये | Blog Story
उस दिन माधव का मन बहुत भारी सा हो रहा था, मन को थोड़ा शांत करने के लिए उसने अपनी चहेती जगह, पहाड़ कि चोटी पर जा कर कुछ समय बिताने का निर्णय लिया! गाड़ी की रफ़्तार से उसके क़दम पहाड़ कि चोटी की ओर चल दिए! ऊपर पहुच कर उसने अपने शहर का नज़ारा देखा तो उसकी आखो में आसू भर आये! उसने अपनी आखे बंद कि और कुछ बुदबुदाने लगा, शायद वो प्रार्थना कर रहा था! ऐसा लगा जैसे अब वो पहाड़ी से कूद ही जायेगा, मानो उसकी आखे जीने कि कोई वजह ढूंड ना पा रही हो, आखिर वो उदास क्यों ना होता! एक हफ्ते पहले ही उसके माता-पिता कि मृत्यु हुई थी, जिस नौकरी को ईमानदारी से करने में कभी उसने अपने सुख-दुःख कि भी परवाह नहीं की, आज उसे उससे भी निकाल जो दिया गया था! और जो कम्पनी ने नुक्सान का आर्थिक दंड उसको भरने को कहा, वो बिचारा गरीब कहा से लाता!
आखों से बहती उस जल कि धारा का अविराम प्रवाह रोकने के लिये, शायद आख़िरी बार उसके
हाथ, अपने कुर्ते कि ज़ेब में कुछ तलाशने लगे, यकायक वो एक मुड़े-तुड़े कागज़ का स्पर्श
पाकर रुक गए! माधव ने ज़ेब से वो भुज्जी बना हुआ कागज़ का टुकड़ा निकाला! जिसको पढ़ कर
वो हक्का-बक्का रह गया!
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| हार का सच |
वो कागज़ का टुकड़ा कुछ और नहीं बल्कि एक बड़ी रकम का चेक था, उसके साथ एक पर्ची भी जुड़ी थी जिसपर लिखा था – “एक मरते हुए बाप कि ओर से अपने प्यारे बेटे को उपहार! ”
फिर दोबारा आसुओ का सैलाब बह उठा, पर इस बार आसू उदगार के थे! अब शायद वो नींद से
जाग रहा था! उसको लगा कि मै आखिर इतना कायर कैसे हो सकता हू? जो अपनी परिस्थितयों
से लड़ने कि बजाय भाग खड़ा होना चाहता था? एक चीटी भी हार के बाद कोशिश नहीं
छोड़ती और हम तो फिर भी इंसान है!
पर अब शायद वो अपनी गलती का सच्चा एहसास कर चूका था! उसने चारों ओर देखा तो
पाया नज़ारा अब कितना खुबसूरत दिख रहा था! चारों तरफ़ चेचाहते पक्षी, मंद-मंद चलती
ठंडी हवा, दूर से चमकता वो शहर का नज़ारा जिसके साथ उसकी ढेरो यादे जुड़ी थी! जहा वो
पैदा हुआ, बड़ा हुआ और ईमानदारी से जीना सीखा!
अब ये सब बातें उसकी आखो में आसू नहीं बल्कि मुख पर मुस्कान ला रही थी!
-- Credit Anonymous
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ज़िन्दगी जीने के दो ही तरीके है, या तो आप हर परिस्थिति से बस भागते ही रहे, भागते ही रहे! या फ़िर अपने जीवन कि परेशानियों को स्वीकार करे और उनका हल निकालने कि कोशिश करे! अगर आप पहला उपाय चुनते है तो शायद आपको लगे के आप सारी परेशानियों को पीछे छोड़ आये है! परन्तु इस बात में कितना सत्य है, ये आपके हृदय कि चिन्ता और दुत्कार ही आपको बता देगी! पर अगर आप मेहनत से अपनी परेशानियों का सामना करेंगे तो हो सकता है शायद आप सारी जंग ना जीत पाए, पर तब भी मन का संतोष आपको हार में भी शांति का एहसास कराता रहेगा!
जीवन आपका है, चुनाव भी आपको ही करना है!
ये लेख पढ़ने के लिए धन्यवाद, हो सके तो नीचे कमेंट करके बताये के आपको ये पढ़के
कैसा लगा!
