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जीवन एक उपहार है | Blog article

“जब आप पैदा हुए, केवल आप रो रहे थे और सारी दुनिया आपको देख कर हस रही थी! अपने जीवन को ऐसा बनाये की जब आप इस संसार से जाए तो केवल आप हस रहे हो और सारी दुनिया आपको देख कर रो रही हो!”
जीवन ऐसा तो ना था!

जब हम इस दुनिया में आये उस समय हमारा कोई भी पक्का लक्ष्य नहीं था, कुछ एक लोगो को हम पहचान पाते थे वो भी ना जाने कैसे! रिश्तों के माइने, माँ के उस प्यार भरे एहसास में महसूस होते थे! कोई काम का तनाव नहीं लेते थे हम उस समय में, कुछ चाहिए तो रो दिए, कुछ अच्छा लगा तो हस दिए! बस यही तक ही जीवन का अर्थ हम समझ पाते थे!


पर आज की कहानी कुछ और ही है! आज हम 24 में से 18 घन्टे काम करने की कोशिश में लगे रहते है हर दिन! फिर भी पीछे रह जाने की चिन्ता और डर 24 घन्टे हमारे साथ ही रहते है! चाहे रोये या हसे मन को शांति की ख़ोज कुछ अधूरी सी ही लगती है! रिश्तो के माइने एक दूसरे  कि शादी-ब्याह, बर्थडे आदि आयोजनों में जाने तक ही सिमट कर रह गए है! उसमे भी जाने से पहले मन दो बार सवाल करता है – क्या सच में जाना ज़रूरी है? आज काल क्यों लोग एक दूसरे का दुःख नहीं बाट पाते? क्या सचमुच समय की कमी है? या इच्छाशक्ति कि कमी है? क्या बड़े-बूढों की एहमियत हम भुला रहे है? , क्या जो मिनटों में घर कि बड़ी से बड़ी समस्याओ को सुलझा दिया करते थे वो आज एक पुराने और फालतू सामान की तरह कौने में पड़ी टूटी खाट पर सिमट कर रहने को मजबूर है?

Need of Love Mother Teresa Hindi words
प्रेम और अपनापन 

हर दिन हमारे लिए नई उच्चइयो को छूने का अवसर है! पर उन उच्चइयो का सही अर्थ और सार्थकता तब ही है – जब हम अपने घर-परिवार की खुश और ज़रुरतो को भी सफ़लता का एक आधार बनाये! पैसा कमाना अच्छी बात है पर अगर आप उसका उपयोग अपने जीवन को खुशहाल बनाने में नहीं करेंगे तो उसका होना या ना होना बराबर है क्योंकि जब वो नहीं था तब भी आप दुखी थे, जब है तब भी!

परमात्मा की ख़ुशी!

परमात्मा ने ये जीवन हमे ख़ुशी से जीने के लिए दिया है, अगर वो चाहता तो आपको दुखी रहना सिखा कर भेजता, पर ऐसा नहीं है! जब बच्चा पैदा होता है तो उसे इस बात कि चिन्ता नहीं होती की कौन उसे खाना खिलाएगा? कैसे वो समाज में नाम कमायेगा? आदि आदि.. वो तो अपने स्वभाव में खुश रहता है, उसका रोना या चिल्लाना भी पल दो पल का होता है, और वो भी ज़रूरत का एहसास कराने के लिए! पर आज तो हम इस संसार में रहकर ना जाने क्या क्या नए गुण सीख रहे है! आज अगर किसी ने कुछ कह भी दिया तो सालोसाल हम नहीं भूलते, बोलना भी बंद कर देते है! पर याद कीजिए, बच्चे ऐसा नहीं करते – वो तो निश्छल भाव से अपनी मांग रख देते है, चाहे कोई पूरा करे या ना करे! अगर आपने मांग पूरी नहीं की, तो भी उनका रूठना कुछ समय का ही होता है, फिर वो भूल जाते है उस घटना को!

जीवन अच्छाई से भरा हो!

कितना अच्छा हो अगर हम भी इस जीवन को एक उपहार की तरह जानकार ख़ुशी से जिये? समस्या और परेशानी तो इस जीवन का अभिन्न अंग है, ये तो आनी ही आनी है, क्यों ना समस्याओ के बीच भी मुस्कुराने का फेसला करे? अपनी जिम्मेदारियों से मुह मोड़ लेना बहुत आसान है पर क्यों ना हम उनका सामना करने का फेसला करे? अपने घर-परिवार, माता-पिता आदि को क्यों ना आज से वो प्यार और सहकार दे जो उन्होंने हमेशा हमे दिया? अगर हम ये कर पाए तो पैसा भले ही कम या ज्यादा हो जाए, शांति और ख़ुशी जीवन में कम नहीं होगी!
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