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ईश्वर की मदद | Motivational Hindi Story

एक समय की बात है, केशव नाम का व्यक्ति सदा परमात्मा के नाम का भजन करता हुआ अपना जीवन व्यतीत कर रहा था! एक दिन केशव के मन में विचार आया की क्यों ना आज नदी में जाकर स्नान किया जाये! उसने अपने कपड़े आदि लिये और दूर नदी कि ओर अपनी यात्रा शुरू कर दी! नदी किनारे पहुचने पर, उसने जल में उतर कर दूर तक तेरने का निर्णय लिया! आखिर वो माना हुआ त़ैराक जो था!


तैरते-तैरते कब केशव मुख्य तेज़ धारा में चला गया उसे पता ही नहीं चला! जल का बहाव अब उसे बहाए ले जा रहा था! उसे ऐसा लगा मानो बस डूबने ही वाला है, पर उसका मानना था की भगवान् आयेगे और उसे डूबने से ख़ुद बचाएंगे! उसने ईश्वर से प्रार्थना की – "हे प्रभु, मेरा जीवन बचा लीजिये!" यकायक उसने देखा - एक व्यक्ति छोटी नाव में उसकी ओर बड़ी तेज़ी से आ रहा है, उस व्यक्ति ने कहा – “आप मेरी नाव पर आ जाईये, मै पास में ही मछली पकड़ रहा था, मन में कुछ प्रेरणा से हुई इधर आने की, आया तो आपको मुसीबत में देखा!” केशव बोला – “भाई, ईश्वर मुझे बचा लेंगे, आप अपने काम पर ध्यान दीजिये!” ये शब्द सुनकर वो वापस लौट गया!

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परमात्मा

लगातार तैरते रहने से, अब धीरे-धीरे केशव का शरीर थकता जा रहा था! उसने फिर प्रार्थना की – हे प्रभु, मेरा जीवन बचा लीजिये! यकायक उसने देखा की एक मोटर बोट उसकी ओर तेज़ी से आ रही थी, मोटर बोट में बैठे व्यक्ति ने चिल्लाकर कहा – “मुझे अपना हाथ दीजिये, में आपको ऊपर खीच लूँगा, इससे आपका जीवन ज़रूर बच जायेगा!” केशव ने उस व्यक्ति को समझाया – “अरे भाई, जीवन तो परमात्मा बचाता है, तुम नादान हो इसलिए ईश्वर कि करनी पर शंका करते हो!” आखिरकार मोटर बोट वाले व्यक्ति को भी वापस लोटना पड़ा!


अब केशव की सास कुछ-कुछ उखड़ने लगी थी, आखों के आगे कुछ अँधेरा से भी बीच-बीच में आता हुआ महसूस होने लगा था! केशव ने हाथ जोड़ कर ईश्वर से प्रार्थना कि – “हे प्रभु, आप कहा हो, मेरी प्रार्थना सुनो – मुझे बचा लो प्रभु!” कुछ समय बाद ही उसने देखा की एक, हेलीकाप्टर उड़ता हुआ उसके ऊपर मडराने लगा, एक मोटी से रस्सी केशव के पास आकर पानी में गिरी! हेलीकाप्टर से दर्द भरी आवाज़ आई – "भाई तुम इतनी ज़िद क्यों कर रहे हो, तुम्हारे दर्द से मुझे भी असहनीय पीड़ा हो रही है, रस्सी को पकड़ लो, मै तुमे ऊपर खीच लूँगा!" अब केशव का गुस्सा फुट पड़ा – उसे लग रहा था कि जैसे सारी प्रार्थना बेकार ही चली गई, आखिर ईश्वर ने एक बार भी उसके बारे में नहीं सोचा! केशव चिल्लाकर बोला - परमात्मा या तो मुझसे नाराज़ है या फिर उसे मेरी परवाह ही नहीं है, जो उसने मेरी सुध नहीं ली, ऐसा कहकर उसने रस्सी दूर फेक दी!

इस लम्बी बातचीत से केशव की सास उखड़ चुकी थी, कुछ ही देर में वो डूब गया! जब केशव ईश्वर के पास पंहुचा तो उसने ईश्वर से शिकायत की – भगवान् मैंने तो हमेशा आपकी सेवा कि पर आपने मुझे बचाने कि कोई कोशिश भी नहीं की? परमात्मा बोले – “मेरे बेटे, उस माँ के दर्द को महसूस करो जो अपने सामने अपने बच्चे को मरता हुआ देखने के सिवाये कुछ ना कर सकती हो! मैंने ही वो माँ बनाई है! तुम्हे बचाने के लिए मैंने नाव भेजी, मोटर बोट भेजी और फिर हेलीकाप्टर भेजा, उन मनुष्यों में, मै ही तुम्हे बचाना चाहता था पर तुम मुझे पहचान ना सके!”

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ये बात सही है की व्यक्ति कई बार परेशानियों में फस जाता है, पर अगर हम ईश्वर पर विश्वास रखकर इमानदारी से अपना कर्म करते रहे तो देर सबेर रास्ते निकल ही आते है! ऐसा नहीं है कि मुसीबत के समय ईश्वर सारे दरवाज़े बंद कर देता है, परन्तु वो तो बस चाहता है कि आप अँधेरे में भी अपना दरवाज़ा खोजने कि कला विकसित कर ले!

आपको ये कहानी मिली या रास्ता! अगर कहानी मिली को कैसे फाएदा उठाओगे? और अगर रास्ता मिला तो कब चलोगे? ये आपको ही सोचना है!
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