दर्द का कारण | Inspiring Hindi Story
एक बार एक महिला सड़क से गुज़र कर अपने ऑफिस को जा रही थी! उसने देखा, गली के एक घर के बाहर बगीचे में बैठा कुत्ते का पिल्ला दर्द से व्याकुल हो रहा था! महिला को देख कर बड़ा विस्मय हुआ, परन्तु ऑफिस पहुचने की जल्दी थी, इसलिए उसने अपने क़दम आगे कि ओर बढ़ा दिए! शाम को ऑफिस से लौटते समय महिला ने गौर किया तो पाया, वो अब भी दर्द से कर्रा रहा था! दिन भर के काम से थकी महिला ने सोचा के कल देखेंगे और तेज़ी से घर कि ओर क़दम बढ़ा दिए!
अगले कुछ दिनों तक यही सिलसिला चलता रहा, परन्तु उस कुत्ते के पिल्ले का कर्राना बंद नहीं हुआ! अब हर समय महिला का मन उस छोटे से बच्चे के दर्द कि ओर ही लगा रहने लगा! हर समय उसके मन में ये विचार आने लगे कि आखिर उस बच्चे को कौन सा कष्ट है? क्या वो भूखा होगा इसलिए रोता है? क्या वो बीमार है? आदि आदि...
एक दिन महिला ने निश्चय किया कि वो ऑफिस से छुट्टी लेकर उस बच्चे को घुमाने लेके जाएगी ताकि उसका दर्द कुछ कम हो सके! अगले दिन सुबह महिला ने जाकर उस बगीचे में से कुत्ते के पिल्ले को पुचकारकर अपने पास बुलाया और उसको लेकर घुमाने चल दी! सारा दिन उस महिला ने बच्चे के साथ गुज़ारा! उसने पहले उसे एक पार्क में घुमाया, फिर उसे नहलाया-धुलाया, फिर उसके पसंद का खाना दिया, उसके साथ गेंद से खेलने गई! और फिर आरामदायक पलंग पर उसको सुलाया!
सारे दिन के इस काम में उसने देखा की वो बच्चा एक बार भी नहीं रोया, सारा दिन वो भागता-दोड़ता रहा, गेंद से खेलना उसको बहुत पसंद आया! अब महिला का मन कुछ शांत हुआ, उसको लगा के शायद ये खेलने और घूमने के लिए ही इतने दिन से उदास और परेशान था और अब ये बच्चा खुश रह सकता है! अगले दिन ऑफिस जाते समय महिला ने उस बच्चे को फिर से गली के घर के बाहर बगीचे में छोड़ दिया! अब वो ख़ुशी-ख़ुशी ऑफिस जा सकती थी!
शाम को काम पे से आते हुए महिला ने सोचा के क्यों ना उस बच्चे का हाल जान लू! उसने देखा तो पाया के वो बच्चा फिर से दर्द में कर्रा रहा था! अब महिला से रहा नहीं गया, उसने उस घर में जाकर पूछने का मन बनाया और जाकर दरवाज़ा खटखटाया! अन्दर से निकले व्यक्ति से महिला ने पूछा – “भाई साहब, ये आपके बगीचे में जो कुत्ते का पिल्ला बैठा है, ये पिछले दो सप्ताह से कर्रा रहा है, मै इसको एक दिन घुमाने ले गई तो ये खुश था, पर फिर अब दर्द में है, इसकी क्या वजह है?” उस व्यक्ति में बताया – “असल में ये बच्चा जिस जगह बैठता है वहा ज़मीन खुरदुरी है और कुछ एक नुकीले पत्थर और कील भी वहा गड़ी है! मैंने कई बार इसे दूसरी जगह बैठाया, पर ये ख़ुद को बदलना ही नहीं चाहता!”
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| धूल |
वो तो फिर भी एक
छोटा सा जानवर था, शायद इतनी समझ ना भी हो! परन्तु कई बार हम भी जीवन में इसी तरह
की गलती दोहराते रहते है! हम अपने जीवन में व्याप्त दुःख, परेशानियों और दर्द को
बस सहते रहते है और कभी ख़ुद को, कभी समाज को, कभी अपनी किस्मत को तो कभी परमात्मा
को भी इसके लिए जिम्मेदार ठहराकर अपनी जवाबदेही पूरी मान लेते है! जबकि हमे अपनी शक्ति उन परेशानियों का हल ढूढने और ख़ुद में पनप रही नकारात्मकता से लड़ने में
लगाना चाहिए! परेशानियों में पढ़कर कुछ लोग कामयाब हो जाते है और कुछ लोग उन्ही
परेशानियों के आगे घुटने टेककर हताशा और निराशा को अपना लेते है! आपके लिए क्या
सही है और क्या गलत इसका फैसला तो आपको ही करना है! हम तो बस आपकी सकारात्मकता को
ये एहसास करा सकते है कि “तुम हो!” अगर आपके पास कुछ समय हो तो नीचे अपने विचार
ज़रूर लिखे इस कहानी के बारे में!
