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ज़िन्दगी खूबसूरत है - प्रेरणादायक लेख | Blog article

"अंत में व्यक्ति ने अपने जीवन में क्या कुछ पाया है, इसका अंदाज़ा उसके ह्रदय की विशालता से लगाया जा सकता है" – एनोनिमस
आजकल की इस भागमभाग वाली ज़िन्दगी में शायद हम, "थोड़ा सा रुक जाना" भूल गए है! अब घर पर एक साथ बैठ कर भोजन करना, परिवार सहित कुछ दिनों के लिए कही घूमने जाना, अपने गाँव से जुड़े व्यक्तियों को यू ही फ़ोन करके हाल-चाल जान लेना, माता-पिता का किसी काम में परामर्श ले लेना आदि अमूमन हम सबके जीवन से दूर होता जा रहा है! और जब हम ख़ुद से इसकी वजह पूछते है तो उत्तर मिलता है – “ये सब करना का वक़्त ही कहा है? पर आप का मन क्या इस सबके बिना खुश है?



अगर आप इन छोटी-छोटी चीजों के लिए भी वक़्त नहीं निकाल पा रहे है, तो प्लीज अपने साथ ऐसा मत करे! मशीनरी और इंसान में बस भावनाओ का ही अंतर है, और याद रखे, आप एक इंसान है! आपको ईश्वर ने एहसास और भावनाओ से भरा ये जीवन दिया है - जीने के लिए, बिताने के लिए नही!

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जीवन 

1. सब आप की परवाह करते है: बच्चे को सही परवरिश देना कोई आसान काम नहीं है! आपके माता-पिता ने ऐसा किया क्योंकि उनकी नजरो में आप की एहमियत उन कष्टो से बहुत ज्यादा थी जो उन्होंने आपको पालने में हर दिन उठाये होंगे - कृपया उन्हें गलत साबित ना करे! उन्हें भी आपके प्यार और सहकार की ज़रूरत है! परिवार और समाज में प्यार बाटे - बहुत से लोग है इस समाज में जिन्हें किसी के अपनेपन की बहुत ज़रूरत है - ऐसा करने से आप को भी शांति और ख़ुशी मिलेगी!

2. जीवन संभावनाओ से भरा है: कई बार हम में से कई लोग निराशा में अपना काफी जीवन व्यर्थ गवा देते है, जबकि परिस्थितिया हमेशा परिवर्तनशील है! क्या पता किस दिन सफलता मिल जाये? कौन जाने कब एक नया रास्ता खुल जाये? तो फिर हम क्यों चिन्ता और अवसाद में जिए, हमे आशावादी होना चाहिए! सब अच्छा ही होगा - आज नहीं तो कल! बार -बार उन्ही बातों को सोच-सोचकर हम अपना आज क्यों गवाए! उस परम पिता पर विश्वास रखकर, बस अपना कर्म करे!

3. आज में नयी ख़ुशी ढूंढे: अपने परिवार को थोड़ा समय प्रदान करे - कही घुमने जाये या फिर एक टाइम का खाना सबके लिए कभी आप बनाये, यदि ना बनाते हो! अपने माता-पिता से बात करे जैसे आप बचपन में किया करते थे - उनके लिए आप सदा बच्चे ही रहेगे! स्वाभाविक व्यव्हार करे!

4. सबकुछ ज़रूरी है: सोचिये, अगर कोई आपको ढेर सारा पैसा देकर एक निर्जन स्थान पर छोड़ आये तो कैसा होगा! आपको सुबह उठकर ख़ुद ही पेड़ आदि ढूढ़ कर उससे फल तोड़कर खाने होने! फिर आपको अकेले ही अपने पैसे के साथ, दिन भर यहाँ-वहा जाना होगा कार्य और खाने की तलाश में, और फिर शाम को जब आप थक जायेगे तब कोई स्थान खोजकर सोने का प्रबंध भी करना होगा! इस सबके बाद भी कोई दुःख-सुख कहने-सुनने वाला भी नहीं हो तो सबकुछ एक बेमानी सा लगता है! परमात्मा ने परिवार और प्यार दिया है, उसे संभालना भी तो हमारा ही कर्तव्य है! पैसा ज़रूर कमाये, परन्तु परिवार के साथ भी समय बिताए!

5. धन्यवाद करे: प्यार और सहकार में शब्द की नहीं बल्कि भाव की प्रधानता होती है! ये बात सच है, परन्तु अगर भाव के साथ शब्द भी जुड़ जाये तो महत्व और भी बड़ जाता है! जैसे, हम सबकी माँ ये बात जानतीं है कि हमारा उनसे स्नेह है परन्तु जब हम, बिना कहे भी, अपनी बूड़ी माँ के लिये, उसकी पसंद का कुछ ले जाकर देते है तो उसे ये एहसास ज़रूर होता होंगे कि जीवन के इस पड़ाव पर भी उसके बच्चों को उसकी परवाह और ख्याल है! जब आप अपनी माँ को याद कराते है कि वो किस प्रकार आपकी पसंद सबसे उप्पर रखा करती थी, तो उसका मन आपकी ना भूलने की आदत पर भी गद्गद ज़रूर होता होगा!

अपने काम और परिवार में बैलेंस करने में ही जीवन की खूबसूरती है!
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