क्यों लोग धोखा देते है ? Blog article
Life के कुछ सबसे मुश्किल अनुभवों में से एक होता है छले जाने का अनुभव! कई बार हमे ऐसे अनुभव से गुज़रना पड़ता है जिससे हमे लोगो को सही अर्थ में पहचान पाने में ख़ुद की विफलता का एहसास होता है! हमे लगता है की क्या हम इतने सीधे और इस संसार को समझ पाने में इतने असमर्थ है की कोई भी आकर हमे अपने अनुसार चला सकता है? धोखा हो जाने का एक सबसे बुरा प्रभाव जो किसी चीज़ पड़ता है वो है - हमारी दूसरों पर विश्वास कर पाने की शक्ति पर! एक बार छले जाने पर हम चाह कर भी दूसरों पर विश्वास करने से घबराने लगते है! किसी व्यक्ति पर विश्वास करने के समय हमे वो ही धोखा खा जाने का डर और चिन्ता सताती रहती है!
आखिर लोग धोखा क्यों करते है?
हमारे मन में शायद ये सवाल बार-बार उठता रहता है के आखिर हमे धोखा क्यों दिया गया? वो क्या इच्छा या मज़बूरी रही होगी के दूसरों ने हमारे साथ विश्वासघात किया? इस प्रश्न के अनेको उत्तर हो सकते है, जैसे कि - अधिक महत्व आकाक्षा! आज के इस तेज़ी से बदलते समाज पर पीछे ना रह जाने का, अपने ही द्वारा बनाया गया दबाव हावी होता जा रहा है! ज्यादातर लोगो को अपने साथ वालो से आगे निकलने की इच्छा और पीछे ना रह जाने का डर सताता रहता है! इन्ही कारणों से कुछ लोग दूसरों को आगे बड़ने की सीड़ी की तरह भी इस्तेमाल करने से नहीं चूकते! उनका बस एक ही मकसद है - अपनी इच्छाओ की पूर्ति करना, चाहे इसके लिए उनके संपर्क में आने वाले व्यक्तियों को कुछ भी लगे! उन्हें अमूमन इसकी परवाह नहीं होती!
दूसरा कारण हो सकता है - समझ और परिपक्वता की कमी! कई बार अनजाने में हम ऐसा कुछ कह जाते है या कोई ऐसा काम कर देते है जिसका सम्बन्ध धोखा देने कि सोची समझी इच्छा या दुःख देने की कोशिश नहीं होता! वो तो बस नासमझी का एक परिणाम होता है! परन्तु धोका खा जाने वाला व्यक्ति इस नज़र से देख नहीं पाता, उसे लगता है जैसे सब कुछ उसके साथ जान पूछ कर किया गया है! जब ये भावना हमारे मन में घर कर जाती है तब हम कुछ भी सोचने और समझने को तैयार नहीं होते और बस ख़ुद को दुःख और चिन्ता के सागर में डुबो लेते है! जो व्यक्ति व्यवहार में भावनात्मक पहलू (sensitive nature) को बहुत ज्यादा महत्व देते है, उनके लिए तो ये बात को समझ पाना कई बार ज्यादा मुश्किल होता है! भावनात्मक (sensitive) होना बुरा नहीं है अपितु यही तो वो एक चीज़ है जो हमे आपस में जोड़ती है, परन्तु भावनाओ के साथ-साथ तर्क बुद्धि का होना भी ज़रूरी है क्योंकि यही वो गुण है जो सही और गलत में अंतर करने में हमारी मदद करता है! परमात्मा ने कुछ सोच समझ कर ही हमे बुद्धि और भावनाए दोनों दिए है!
तीसरा एक कारण हो सकता है - दूसरों को समझने में हमारी ख़ुद की गलती! कई बार हम जिस बात को सोच कर अपनी मन में ख़ुद के साथ धोखा हो जाने का गम लिए रहते है, असल में वैसा होता ही नहीं है! किसी कारण से जब लोग एक दूसरे को अपनी बात नहीं समझा पाते, तब भी ये मुश्किल सामने आती है! आज कल ज्यादातर लोगो के पास दूसरों को समझने का और अपनेआप के बारे में दूसरों को समझाने का समय और इच्छा कम है! हम सब सोचते है की दूसरा व्यक्ति हमे अच्छे से समझता है और हमारे हर पहलू को जानता है, जब कि असल में ऐसा नहीं होता! जब तक आप ख़ुद को और परिस्तिथियों को ठीक से बयान नहीं करते तब तक दूसरा व्यक्ति उन्हें नहीं जान सकता! आप शायद ये समझ रहे हो के आपके साथ धोखा हुआ है परन्तु असल में ऐसा कुछ हो ही ना और दूसरा व्यक्ति ये जानता भी ना हो के उसको लेकर आप ऐसा महसूस कर रहे है! दूसरों के व्यवहार के भी कुछ अपने ठोस कारण हो सकते है जिनकी ओर आपका ध्यान शायद जा ही ना पा रहा हो? या फिर आप उन्हें समझना ही ना चाह रहे हो?
ज़िन्दगी का नाम चलते जाना है! कोई भी घटना या अनुभव चाहे अच्छा या बुरा हो बस इस जीवन का एक पन्ना है जो हर दिन नया लिखा जाता है! हम सब एक दूसरे पर विश्वास या भरोसा करे बिना आगे बड़ ही नहीं सकते! कुछ कटु अनुभवों के कारण हम पूरी मानवता पर से विश्वास नहीं खो सकते! समाज में हमेशा ऐसे व्यक्ति थे, है और रहेंगे जो हमे दूसरों पर विश्वास करने कि प्रेरणा देते रहेंगे! रखिए - विश्वास करना है परन्तु परखने के बाद!
तीसरा एक कारण हो सकता है - दूसरों को समझने में हमारी ख़ुद की गलती! कई बार हम जिस बात को सोच कर अपनी मन में ख़ुद के साथ धोखा हो जाने का गम लिए रहते है, असल में वैसा होता ही नहीं है! किसी कारण से जब लोग एक दूसरे को अपनी बात नहीं समझा पाते, तब भी ये मुश्किल सामने आती है! आज कल ज्यादातर लोगो के पास दूसरों को समझने का और अपनेआप के बारे में दूसरों को समझाने का समय और इच्छा कम है! हम सब सोचते है की दूसरा व्यक्ति हमे अच्छे से समझता है और हमारे हर पहलू को जानता है, जब कि असल में ऐसा नहीं होता! जब तक आप ख़ुद को और परिस्तिथियों को ठीक से बयान नहीं करते तब तक दूसरा व्यक्ति उन्हें नहीं जान सकता! आप शायद ये समझ रहे हो के आपके साथ धोखा हुआ है परन्तु असल में ऐसा कुछ हो ही ना और दूसरा व्यक्ति ये जानता भी ना हो के उसको लेकर आप ऐसा महसूस कर रहे है! दूसरों के व्यवहार के भी कुछ अपने ठोस कारण हो सकते है जिनकी ओर आपका ध्यान शायद जा ही ना पा रहा हो? या फिर आप उन्हें समझना ही ना चाह रहे हो?
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