Discipline is the key to success
"अनुशासन ही जीत की चाबी है!"
कई बार आपने देखा होगा के कुछ लोगो के जीवन की गाड़ी लम्बे समय के लिए पटरी से उतर जाता है! अगर आप उनके जीवन को ध्यान से देखेंगे तो मानों सब कुछ अस्त-व्यस्त सा लगता है! उनका उठना, बैठना और रूज़मर्रा के काम भी लक्ष्य विहीन से लगते है! असल में कुछ लोग हर दिन बिना किसी लक्ष्य और अनुशासन के बिता देते है! उन्हें ख़ुद ये नहीं पता होता के वो ऐसा क्यों कर रहे है और आखिर इस जीवनशेली को अपनाकर उन्हें क्या हासिल होगा? उनका तो बस यही मकसद होता है कि आज का दिन जो हम सो कर उठे है बस वो आराम से गुज़र जाए, कोई भी परेशानी या ज़िम्मेदारी का मुह उन्हें ना देखना पड़े! ऐसे लोगो के सामने जब कभी कोई मुश्किल या परेशानी आ जाती है तो वो ख़ुद को चिन्ता और अवसाद की बेड़ियों से जकड़ कर, अपनेआप को असहाय और सताया हुआ घोषित करने में लग जाते है क्योंकि उन्होंने कभी challenges का सामना करके उनपर जीत हासिल करने के लिए ख़ुद को तैयार ही नहीं किया होता!
आपको ये जीवन मिला है ताकि आप परमात्मा की बनाई इस खूबसूरत दुनिया में कुछ अच्छा और सकारात्मक अंतर पैदा कर सके!
जब भी हम अपनी जिम्मेदारियों और मुसिबतों से भागने लगते है, हम ख़ुद को उनके आगे कमज़ोर साबित करते है तुम हमारा आत्मविश्वास कमज़ोर होने लगता है! हमे लगने लगता है के उन मुश्किलों को काबु में करना हमारे बसकी बात नहीं है! ये गलत आत्म संवाद है - जब आप ख़ुद को अपने बारे में गलत और नकारात्मक सन्देश देते है तो हमारा मन ये बात को ही सच मानकर बैठ जाता है जिसका प्रभाव हमारे कर्मा और व्यवहार में दीखता है!
अगर आप एक हाथी के बच्चे के पैर को बचपन से ही chain से जकड़ कर बांध देते है तो वो जब आज़ाद होने के लिए ज़ोर लगता है तब भी वो ऐसा नहीं कर पाता क्योंकि छोटे बच्चे में इतनी शक्ति नहीं होती! उसे मन में ये विश्वास हो जाता है की वो इस chain से आज़ाद होने की शक्ति नहीं रखता है! जब येही हाथी बड़ा होता है तो वो चाहे तो एक झटके में ही उस बंधन से आज़ाद हो सकता है परन्तु वो ऐसा नहीं करता, क्योंकि उसकी वास्तविक शक्ति को उसकी मानसिक बन्धनों ने जकड़ रखा है! वो सारा जीवन ख़ुद को असमर्थ मानते हुए ही बिता देता है!
अगर आप एक हाथी के बच्चे के पैर को बचपन से ही chain से जकड़ कर बांध देते है तो वो जब आज़ाद होने के लिए ज़ोर लगता है तब भी वो ऐसा नहीं कर पाता क्योंकि छोटे बच्चे में इतनी शक्ति नहीं होती! उसे मन में ये विश्वास हो जाता है की वो इस chain से आज़ाद होने की शक्ति नहीं रखता है! जब येही हाथी बड़ा होता है तो वो चाहे तो एक झटके में ही उस बंधन से आज़ाद हो सकता है परन्तु वो ऐसा नहीं करता, क्योंकि उसकी वास्तविक शक्ति को उसकी मानसिक बन्धनों ने जकड़ रखा है! वो सारा जीवन ख़ुद को असमर्थ मानते हुए ही बिता देता है!
Discipline is the key
इन मानसिक बन्धनों से बाहर निकलने का उपाय है!
Step 1:: हर ज़िम्मेदारी का सामना करने की आदत डाले! जीता-हारना तो बाद की बात है, जो भी हमारा कर्तव्य है उसका इच्छा/अनिच्छा को छोड़ कर सामना करना! जब हमारे मन में छोड़ कर भागने का कोई विकल्प ही नहीं रहेगा तब हमारा मन मुसीबत या ज़िम्मेदारी से जीतने की तरफ़ अपना ध्यान लगाएगा!
Step 2:: ख़ुद को अपने कर्म के प्रति समर्पित करे! Discipline (अनुशासन) किसी भी गुण से ज्यादा ज़रूरी इसलिए है क्योंकि इसके द्वारा ही बाकी सब गुणों की success (सफ़लता) निश्चित होती है! अगर आप मेहनती है परन्तु हर काम को 10-5 दिन करके छोड़ देते है तो मेहनत का ये गुण भी आपके किसी काम ना आसकेगा क्योंकि लक्ष्य तक पहुचने के लिए लगातार और लम्बे समय तक अनुशासित होना पड़ता है!
Step 3:: Time Table बनाए! अगर आप काम करना तो चाहते है परन्तु आपके पास कोई योजना ही नहीं है तो आप भटक सकते है! एकांत स्थान पर बैठ कर ये सोचे के अपने कर्म को पूरा करने के लिए क्या क्या बदलाव आपको ख़ुद में लाने होंगे? जैसे सुबाद उठकर meditation, yoga और exercise से एकाग्रता बढती है और आपका लक्ष्य अपनी कक्षा में प्रथम आने का है! तो आप सुबह उठ कर 1 घंटा इन तीन चीजों को देने पर विचार कर सकते है! पुरे दिन का एक chart बनाये और उसे पूरा करने की कोशिश करे! बीच बीच में उसमे थोड़ा आराम और मनोरंजन का भी समय रखे!
Step 4:: हर महीने के अंत में ख़ुद को तोले! आप किस दिशा में चले है इस पूरे महीने इस निष्कर्ष पर पहुचे! अगर योजना में कुछ बदलाव की ज़रूरत है तो वो करे!
Step 5:: साल भर तक कड़ी मेहनत करने से आप ख़ुद को बेहद अनुशासित और ताकतवर महसूस करेंगे! अब आपको मुश्किलों का सामना करना एक बच्चों के खेल जैसा प्रतीत होने लगेगा और आप समझ पाएँगे के ये सब भी हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है और असल में आपको और काबिल बनाने के लिए आती है!
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| अनुशासन |
