People come and go लोग तो आते रहेगें और जाते रहेगें | Blog post
ये संसार नाश्वान
कहा गया है, यहाँ कुछ भी सदा के लिए नहीं है! हम सब भी यहाँ एक समय तक ही रहते है और
फिर अपने परलोक निवास को चले जाते है, ऐसा माना गया है! इसी प्रकार हमारे जीवन काल
में, अनेकों लोग हमारे संपर्क में आते है और चले जाते है! ये एक अटल नियम है, परन्तु
इस नश्वर संसार को शाश्वत जानकर, मोह में बसी हमारी बुद्धि कभी-कभी, इस सत्य को भूल
जाती है या फिर तो भुला देना चाहती है! हमे लगता है के किसी व्यक्ति के चले जाने
से, या तो आ जाने से ही हमारा जीवन पूरा या तो अधूरा बन जाएगा! इस चिन्ता और
अंतर्मन जनित कष्ट को कुछ लोग हर समय भोगते रहते है! अपितु सामने वाले व्यकित में कभी
भी इस तरह का कोई भाव भी जनित नहीं होता! क्योंकि वो तो इस प्रकार सोचने का भाव
नहीं रखता!
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| आपका सच्चा साथी |
चिन्ता करते रहना,
डरना, दुःख में रहना – इस प्रकार के कृत्यो से क्या आपको कुछ अच्छा हासिल होगा? इससे केवल और केवल आप अपनेआप को नकारात्मकता की ओर ही धकेल देंगे! ये एक ऐसा दुःख
है जिसे आपने ख़ुद ही अपने लिए चुना है, जो के ठीक चुनाव नहीं है!
लोग तो आते रहेगे और
जाते रहेगे, इस अविश्यभावी प्रक्रिया से क्या घबराना? अगर आप भावनात्मक रूप से ख़ुद
को कमज़ोर या तो नकारात्मक बनायेगे, तो ये कृत्य चालाक और धूर्त लोगो के लिए एक
स्वर्ण अवसर ही साबित होगा, जो आपको अपनी सुविधा अनुसार इस्तेमाल करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ेगे, जो की आपका आत्मविश्वास तोड़ सकता
है! क्योंकि छले जाते का दुःख बहुत कष्टकारी माना जाता है!
जिन लोगो ने आपको
असमय स्वार्थ अनुसार छोड़ के जाने का निर्णय लिया वो सही माएने में आपके साथ के
लायक ही नहीं थे! आपके अकारण उत्पन्न मोह ने ही शायद उन्हें आपको अपने अनुसार चलाने की शक्ति दे रक्खी थी! आपको तो खुश होना चाहिए के इस प्रकार आपको एक स्वार्थ बंधन
से मुक्ति मिल गई!
जिन लोगो ने आपको
केवल एक विकल्प की तरह माना है, क्या सही में वो आपके साथ के हकदार थे? अपने मन से
पूछे!
हमारी अंतरात्मा ही
हमारी सबसे बड़ी साथी है! जीवन में अनेको पड़ाव आये – बचपन आया और निकल गया, जवानी आई और चली गई, बुढ़ापा भी एक हिस्सा ही तो है इस जीवन का, परन्तु एक चीज़ है तो
पहली श्वास से हमारे साथ बनी हुई है और वो है हमारी अंतरात्मा!
अंतरात्मा हमे सही
और गलत में फर्क करना सीखाती है, सही कर्म करने के समय हमारे अन्दर ख़ुशी और गर्व
जैसे भावों का उदय करती है, और गलत करते समय डर, ग्लानी और चिन्ता का भाव उत्पन्न करके
हमे रुकने का संकेत देती है!
ख़ुद से प्यार करना
सीखे, क्योंकि यही वो व्यक्ति है तो सबसे लम्बे समय तक आपके साथ रहेगा! हर मुश्किल
और परेशानी में भी साथ देगा और विजय के समय भी! जब हम ख़ुद में संतुष्ट और खुश रहना
सीख लेते है तब हमारी दूसरों के प्रति आशायें और आकांक्षाये भी कम हो जाती है और
उनके हर अच्छे और बुरे कृत्य पर तटस्त रहकर मुस्कुराने की काबिलियत हममे पैदा होती
है!
